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मेरे गीत समर्पित उसको

कमलेश द्विवेदी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :295
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9589

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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे

मानव-जीवन अपने-आप में तो वरदान है ही किन्तु मानव-जीवन को भी परमात्मा ने जो सबसे बड़ा वरदान दिया है, वह है प्रेम। प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जिसकी अभिव्यक्ति सुकोमल फूलों की आनंददायी सुगंध के रूप में मन और सारे वातावरण को महकाकर व्यक्ति के व्यवहार को सुकोमल बनाती है। इंसान के लिए प्रेम से बड़ा अन्य कोई प्रेरणा-स्रोत भी नहीं है। वह प्रस्थान-बिन्दु भी है और लक्ष्य भी। प्रेम जीवन में रस तो घोलता ही है, जीवन के रहस्य भी खोलता है। प्रेम, प्रेम करने वाले के जीवन को तो सुंदर बनाता ही है, संसार को भी सुंदर बनाने की कल्पना करता है। प्रेम व्यक्ति को दूसरों से भी जोड़ता है। प्रेम की आहट मात्र ही व्यक्ति को भाव-विभोर बना देती है और बिन्दु को विस्तृत आकार देती है। प्रेम ही व्यक्ति का व्यक्ति तक और ईश्वर तक पहुँचने का सबसे सरल रास्ता है। कविवर डॉ कमलेश द्विवेदी ने भी हिन्दी तथा अन्य भाषाओं के कवियों की तरह अपने इस गीत-संग्रह में इसी प्रेम की विभिन्न छवियों को बहुत सुंदर ढंग से अभिव्यक्त किया है।

मेरे गीत समर्पित उसको..

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